छत्तीसगढ़ के कई नेताओं की निगाहें जून में कार्यकाल पूरा कर रही मोहसिना किदवई की राज्यसभा सीट पर है। किदवई को हज कमेटी का अध्यक्ष बना दिया गया है, इसलिए अब इस बात की संभावना कम ही है कि उन्हें फिर से राज्यसभा में भेजा जाए। राज्य के कई दिग्गजों की राजनीति जंग खा रही है। ऐसे कांग्रेसियों की मंशा एक बार फिर अपनी राजनीति को चमकाने की है। इसके लिए प्रयास भी तेज कर दिए गए हैं। आलाकमान तक सम्पर्क बनाने और मेल-जोल बढ़ाने का काम भी शुरू हो गया है।
कांग्रेस की महासचिव मोहसिना किदवई का कार्यकाल 29 जून को खत्म हो रहा है। अब तक जो संकेत मिले हैं, उसके मुताबिक, पार्टी आलाकमान ने किदवई को रिपीट नहीं करने का मन बना लिया गया है। इस संकेत के साथ ही राज्य के कई प्रमुख नेता सक्रिय हो गए हैं। लम्बे समय से उपेक्षित रहे पूर्व केन्द्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल को इस राज्यसभा सीट का प्रमुख दावेदार माना जा रहा है। इसके लिए उन्होंने कोशिशें भी तेज कर दी हैं। फिलहाल वे आला नेताओ से संबंध सुधारने से लेकर मेलजोल बढ़ाने का काम कर रहे हैं, ताकि मौका आने पर इसे भुनाया जा सके। शुक्ल के समर्थकों की छत्तीसगढ़ में कमी नहीं है, लेकिन यह भी सच है कि इतने ही विरोधी भी उन्होंने पाल रखे हैं। इसलिए राज्यसभा जाने की उनकी राह आसान नहीं है। कभी छत्तीसगढ़ की राजनीति में एकछत्र राज करने वाले शुक्ल ने कई बार पार्टियां बदली और फिर कांग्रेस में लौटे। अंतिम बार वे भाजपा में चले गए थे, किन्तु बाद में उनकी कांग्रेस में वापसी हो गई। उनके राजनीतिक विरोधी रहे पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी खुद इस सीट पर नजर गड़ाए हैं। जोगी के कई समर्थको ने इसके लिए लॉबिंग भी शुरू कर दी है। सिर्फ इतना ही नहीं, जोगी को राज्यसभा में लेने और उसके बाद मंत्रिमंडल में शामिल करने की बातें भी की जाने लगी है। फिलहाल जोगी विधानसभा के सदस्य हैं और उनके स्वास्थ्य को देखते हुए राज्यसभा पहुंचने का रास्ता बंद बताया जा रहा है। वैसे भी, जोगी गुट को छोड़कर और कोई नहीं चाहता कि उन्हें फिर से ऐसा कोई पॉवर मिले कि मुश्किलें पैदा हो। मामला क्योंकि छत्तीसगढ़ से जुड़ा है इसलिए राज्यसभा के लिए चेहरे के चयन में मोतीलाल वोरा की भूमिका अहम होगी। वोरा खुद भी राज्यसभा के सदस्य हैं। वोरा बेहद शांतमिजाज व्यक्ति हैं और आमतौर पर अपनी राय जाहिर नहीं करते हैं।
जोगी के समर्थक और पूर्व विधायक अमरजीत भगत समेत अन्य लोग वरिष्ठ नेताओं के समक्ष अपनी भावनाएं रख आए हैं। समर्थकों के मुताबिक, यदि जोगी को राज्यसभा सदस्य बनाकर मंत्री बनाया जाता है तो छत्तीसगढ़ के साथ ही उड़ीसा और झारखंड जैसे आदिवासी राज्यों में पार्टी को खड़ा करने में आसानी होगी। इधर, बस्तर के वरिष्ठ आदिवासी नेता अरविंद नेताम भी राज्यसभा टिकट की जुगाड़ में हैं। हालांकि प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और सांसद चरणदास महंत की मंशा है कि नेताम को आदिवासी आयोग का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया जाए। अनुसूचित जाति कोटे से दो पूर्व सांसद परसराम भारद्वाज और कमला मनहर भी राज्यसभा जाने की इच्छा रखते हैं। फिलहाल दोनों हाशिए पर हैं। इन नामों के अलावा कई और लोग भी हैं, जो राज्यसभा जाने की उम्मीद पाले बैठे हैं। वे हाल-फिलहाल दिल्ली के आकाओं तक अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में लगे हैं।
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