रायपुर। विधिमंत्री रामविचार नेताम के एक थप्पड़ ने छत्तीसगढ़ में भूचाल ला दिया है। इस थप्पड़ की गूंज अब तक महसूस कर रहे बिलासपुर के एसडीएम संतोष देवांगन ने मंत्री के खिलाफ मोर्चा खोला तो इसके जवाब में नेताम को बचाने आदिवासी विकास परिषद सामने आ गया है। पूरा मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचाने के बाद अब राज्य प्रशासनिक सेवा के कई अफसर मंत्री को निपटाने की कोशिशों में लग गए हैं। इन कोशिशों को आगे बढ़ाने में भी भाजपा का ही एक वर्ग भरपूर सहयोग कर रहा है। एक ओर जहां आविप ने नेताम को बचाने प्रदेशव्यापी मोर्चा खोल दिया है तो दूसरी ओर संसदीय सचिव और विधायक भैय्यालाल रजवाड़े पूरे घटनाक्रम के लिए एसडीएम देवांगन को ही कटघरे में खड़ा किया है।
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति केजी बालकृष्णन पिछले शनिवार को एक कार्यक्रम में शिरकत करने बिलासपुर आए थे। इसी कार्यक्रम में भाग लेने राज्य के विधिमंत्री रामविचार नेताम भी पहुंचे। यहां पहुंचने के बाद उन्हें पता चला कि एसईसीएल के गेस्ट हाउस में उनके लिए कमरा आरक्षित नहीं करवाया गया है। मंत्री नेताम ने पूछताछ की तो कोई जवाब देने वाला नहीं मिला। नतीजतन मुख्य न्यायाधिपति के कार्यक्रम में ड्यूटी बजा रहे बिलासपुर के एसडीएम संतोष देवांगन को गेस्ट हाउस बुलाया गया जहां मंत्री ने बातचीत के दौरान कथित तौर पर देवांगन को थप्पड़ मार दिया। एसडीएम देवांगन ने दूसरे दिन कलेक्टर सोनमणि बोरा को घटना की लिखित जानकारी दी। बाद में उन्होंने राज्य प्रशासनिक सेवा संघ से भी मामले की शिकायत की। संघ ने राजधानी रायपुर में एक आपात बैठक करने के बाद पूरे वाकये से मुख्यमंत्री को अवगत कराया और दोषी मंत्री पर कार्यवाही की मांग की।
खुद के खिलाफ इस तरह मोर्चा खोले जाने की उम्मीद शायद विधिमंत्री को भी नहीं थी। दरअसल, उनकी अपनी पार्टी के कई लोग इस मामले को तूल दे रहे थे। भाजपा के कई वरिष्ठ नेता नेताम की कार्यप्रणाली से नाखुश बताए गए हैं। शायद इसीलिए एक बेहतरीन मौका हाथ लगने के साथ ही उन्होंने आग में घी डालना शुरू कर दिया। मंत्री नेताम को इसकी जानकारी हुई तो आदिवासी विकास परिषद को सामने ले आए। अब परिषद एसडीएम मारपीट प्रकरण को आदिवासी समाज के साथ जोड़कर पुतले फूंकने और राज्यव्यापी माहौल बनाने की कोशिश कर रही है। उसके नेताओं का आरोप है कि आदिवासी मंत्री को अकारण फंसाया जा रहा है। इधर, भाजपा के ही एक विधायक और संसदीय सचिव भैय्याराल रजवाड़े ने एसडीएम संतोष अग्रवाल पर ही ठिकरा फोड़ दिया है। उनके मुताबिक, ''एक बार देवांगन ने उनसे परिचय मांगते हुए कह दिया था कि किसी के माथे पर नहीं लिखा है कि संसदीय सचिव है।ÓÓ
दूसरी ओर बिलासपुर के राजपत्रित अधिकारी संघ ने मंत्री रामविचार नेताम के कृत्य की आलोचना करते हुए ग्राम सुराज अभियान के बहिष्कार और मंत्री के प्रोटोकाल से पल्ला झाडऩे की चेतावनी दी है। यदि ग्राम सुराज जैसा अभियान असफल होता है तो इससे सरकार की किरकिरी होने से भी इनकार नहीं किया जा सकता। फिलहाल इस मामले से उपजा विवाद थमता नहीं दिख रहा है। विरोध और बचाव का क्रम यदि इसी तरह जारी रहा तो संभव है कि मुख्यमंत्री को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़े। प्रशासनिक अफसर जिस तरह से मंत्री के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं, उसके बाद इस बात की भी संभावना बढ़ गई है कि कहीं मंत्री नेताम ही न निपट जाएं। कम से कम इतना तो कहा ही जा सकता है कि मंत्री के थप्पड़ की गूंज दूर तक जाएगी।
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