दुर्ग। नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष के चयन को लेकर शहर कांग्रेस पूरी तरह ठंडी पडी हुई है। पिछले दिनों कांग्रेस का नेता चुनने के लिए बुलाई गई बैठक का विषय बदलकर पार्टी ने यह जाहिर कर दिया है कि वह कुछ करने की स्थिति में नहीं है। पार्षदों को यह समझ नहीं आ रहा है कि आखिर उन्हें अलग-थलग क्यों रखा गया है और नेता प्रतिपक्ष का चयन क्यों नहीं किया जा रहा है?
नगर निगम चुनाव के नतीजे आए 2 महीने से ज्यादा वक्त बीत चुका है और इस दौरान भाजपा का जहां महापौर बना, वहीं नगर निगम में भाजपा पार्षदों का बहुमत भी आया। भाजपा ने महापौर परिषद का गठन भी कर लिया और परिषद के सभी विभाग अपने-अपने काम में लग गए हैं। किन्तु इन कामों की मानिटरिंग करने के लिए कांग्रेस अब तक नेता प्रतिपक्ष नहीं बना पाई है। शहर में पानी का गम्भीर संकट है। जगह-जगह गंदगी और कचरे का जमाव है, लोगों के नगर निगम से संबधित छोटे-छोटे काम भी नहीं हो पा रहे हैं। बावजूद इसके शहर कांग्रेस के नेता हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। शहर कांग्रेस के अध्यक्ष अरूण वोरा लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव हार चुके हैं और इसीलिए उन्हें हर कोई गद्दार नजर आता है। पार्टी के लोगों का मानना है कि वोरा, किसी को आगे बढ़ते नहीं देखना चाहते। वर्तमान में पूर्व महापौर रघुनाथ वर्मा के अलावा धाकड़ माने जाने वाले पार्षद देवकुमार जंघेल, अलताफ अहमद और सजय कोहले नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में हैं। जबकि महिलाओं में रागिनीदेवी सोनी, सोनम नारायणी और कन्या ढीमर के नाम सामने आ रहे हैं।
एक ओर जहां कांग्रेस महिला आरक्षण विधेयक पारित हो जाने को अपनी उपलब्धि बता रही है तो दूसरी ओर उसे महिलाओं को सामने लाने से गुरेज है। सवाल है कि आखिर नेता प्रतिपक्ष के पद पर कोई महिला क्यों नहीं बैठ सकती? कांग्रेस के जानकार सूत्रों की मानें तो शहर कांग्रेस पर कब्जा जमाए रखने के लिए अरूण वोरा नित नए खेल खेल रहे हैं। संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया जारी है और इस हेतु पर्यवेक्षक भी भेजे गए हैं। बावजूद इसके अरूण वोरा ने अपने स्थानीय समर्थकों को पर्यवेक्षक बना दिया है। जबकि संगठनात्मक चुनाव उन्हीं पर्यवेक्षकों द्वारा सम्पन्न कराए जाने हैं, जिसको शीर्ष स्तर से भेजा गया है। कांग्रेसियों का आरोप है कि अरूण वोरा अपने पिता की वजह से लगातार मनमानी कर रहे हैं। उनकी मनमानियों का ही नतीजा है कि पार्टी लगातार हाशिए पर जा रही है।
एक कांग्रेस पार्षद के मुताबिक, जब सभी पार्षदों ने मिलजुलकर अरूण वोरा को नेता प्रतिपक्ष चुनने के लिए अधिकृत कर दिया है तो फिर वे पार्षदों से अलग-अलग बात करने जैसी बातें कहकर नौटंकी क्यों कर रहे हैं? इस पार्षद के मुताबिक, सबको मालूम है कि जो भी निर्णय लेना है, वोरा को ही लेना है। बावजूद इसके वे राजनीति के खेल दिखा रहे हैं। शहर कांग्रेस के एक नेता के मुताबिक, अरूण वोरा अब तक खुद कुछ नहीं कर पाए। युवक कांग्रेस का अध्यक्ष रहते उन्होंने कुछ नहीं किया। विधायक बने तब भी कुछ नहीं कर पाए। लगातार चुनाव हारे फिर भी युवा आयोग के अध्यक्ष बना दिए गए। लालबत्ती मिली तब भी वे अपना दायरा नहीं बढ़ा पाए और अब शहर कांग्रेस के अध्यक्ष बन बैठे हैं और निर्वाचित पार्षदों से लेकर संगठन से जुड़े लोगों को निराश कर रहे हैं।
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