गुरुवार, 11 मार्च 2010

महिला आरक्षण विधेयक के बाद सम्पत्ति की घोषणा डाके पर डाका

रायपुर। महिला विधेयक से पहले से ही चिंतित छत्तीसगढ़ के मंत्रियों, विधायकों को अब एक नई चिंता सताने लगी है। यह चिंता सम्पत्ति की घोषणा को लेकर है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के साथ ही भाजपा विधायकों की सम्पत्ति हर साल उजागर करने का ऐलान किया है और इसके सुर में सुर मिलाया है कांग्रेस ने। लेकिन भाजपा और कांग्रेस के विधायकों के माथे पर इस घोषणा से चिंता की रेखाएं खिंच आई है। इधर, आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसरों की सम्पत्तियों का ब्यौरा इंटरनेट पर जारी करने की सरकार की घोषणा से अफसरों के होश उड़े हुए हैं।
एक सामान्य कार्यकर्ता से नेता बनने और उसके बाद पार्टी का टिकट हासिल कर चुनाव लड़ऩे, लाखों रूपए खर्च करने के बाद चुनाव जीतने वाले नेता सम्पत्ति का ब्यौरा देने के थोपे गए निर्णय से काफी चिंतित हैं। उन्हें लगता है कि इस तरह की घोषणाओं से कुछ होने वाला नहीं है। एक विधायक के मुताबिक, इस घोषणा के चलते कुछ तकनीकी दिक्कतें पेश आ सकती है। यह दिक्कतें ऐसी हैं, जिनका कोई जवाब विधायक या मंत्री के पास नहीं होता। एक संसदीय सचिव की मानें तो पद पर आते ही आवक का पता नहीं चल पाता। किसी का कोई काम करवा दिया या डूबते हुए को पार लगा देने से ही काफी आवक हो जाती है। यह काम करवाने के ऐवज में लिया गया पारिश्रमिक होता है। फिर शासकीय कार्यों की कमीशन का कोई क्या हिसाब दे सकता है?
छत्तीसगढ़ की 90 सदस्यीय विधानसभा में महिला आरक्षण विधेयक पारित होने के बाद हालात पूरी तरह बदलने वाले हैं। यदि विधेयक पारित हो जाता है, (जो कि लगभग तय है) तो राज्य में कुल 30 महिलाएं विधायक होंगी। इतना ही नहीं, छत्तीसगढ़ की लोकसभा की 11 में से 4 सीटें महिलाओं के खाते में जा रही हैं। यह ऐसा मसला है, जिसे मंत्री, विधायक, नेता कोई पचा नहीं पा रहे हैं। इन नेताओं का लगता है कि यह उनके अधिकार पर डाके की तरह है। हालांकि पार्टी की नीतियों के तहत फिलहाल उन्होंने चुप्पी साध रखी है। अपना क्षेत्र आरक्षण की चपेट में आने की स्थिति के मद्देनजर वे अपनी पत्नी, पुत्री या रिश्तेदार के नाम पर विचार कर रही रहे थे कि अब उन पर एक और ऑफत थोप दी गई। दरअसल, विधानसभा में सरकार को घेरने से लिहाज से कांग्रेस विधायक धर्मजीत सिंह ने एक अफसर के पास मिली 400 करोड़ से अधिक की सम्पत्ति पर सवाल उठाया था। जिसके जवाब में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने न केवल अफसरों बल्कि मंत्रियों और विधायकों की सम्पत्ति सार्वजनिक करने की वकालत की। उन्होंने इस दौरान यहां तक कह दिया कि सार्वजनिक जीवन में सुचिता और ईमानदारी के लिए जरूरी है कि जनता को उनके बारे में तमाम जानकारी हो। इसके लिए यह आवश्यक है कि मंत्री और विधायक अपनी-अपनी सम्पत्तियों का ब्यौरा दें। उन्होंने अपनी ओर से अपने समेत मंत्रियों और भाजपा के विधायकों की सम्पत्तियों का ब्यौरा हर साल देने का ऐलान किया। नेता प्रतिपक्ष रविन्द्र चौबे ने इसका स्वागत किया और हर साल बजट सत्र में कांग्रेस विधायकों द्वारा सम्पत्ति का ब्यौरा देने की बात कही।
मुख्यमंत्री के मुताबिक. यदि अफसरों की सम्पत्ति का ब्यौरा वेबसाइट पर उपलब्ध होगा तो लोगों को सूचना कानून के तहत बार-बार जानकारियां मांगने की जरूरत नहीं होगी। उन्होंने स्वीकार किया कि 31 जनवरी तक सम्पत्ति की घोषणा का स्पष्ट नियम होने के बावजूद कई अफसरों ने अपनी सम्पत्ति की जानकारी नही दी है। इनमें 2 आईएएस, 18 आईपीएस और 69 भारतीय वन सेना के अधिकारी हैं।

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