गुरुवार, 11 मार्च 2010

पर्यटन विभाग भी कमाई के मूड़ में

रायपुर। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर छत्तीसगढ़ में भले ही पर्यटन विभाग कुछ कर नहीं पा रहा हो और इस मद के अरबों रूपए भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहे हों, किन्तु लगता है अब यह विभाग भी कमाई के मूड़ में आ गया है। उसने अपने होटलों, मोटल और रेस्ट हाउस को निजी हाथों में सौंपने का मन बना लिया है। सब कुछ ठीक रहा तो इस महीने के अंत तक पर्यटन मंडल के 33 होटल, मोटल व रेस्ट हाउस ठेके की भेंट चढ़ जाएंगे।
नैसर्गिक सौदर्य के लिहाज से छत्तीसगढ़ अद्वितीय है, लेकिन राज्य का पर्यटन विभाग इस सौंदर्य का देश और दुनिया को रसपान कराने में सफल नहीं हो पा रहा है। बस्तर से लेकर सरगुजा तक पूरे राज्य में प्राकृतिक सौंदर्य बिखरा पड़ा है, लेकिन सरकार के पास इसके लिए कोई योजना नहीं है। राज्य के अभ्यारण्य लावारिसों की तरह हैं, यहां जंगली जानवर लगातार कम हो रहे हैं। वन्य पर्यटन के लिए कोई विशेष योजना नहीं है। वन्य पशुओं का अवैध रूप से हो रहा शिकार तो सरकार रोक नहीं पा रही है, बल्कि जंगलों के सफाए की ओर भी उसका ध्यान नहीं है। खनिज सम्पदा का दोहन और जंगलों का सफाया हो रहा है, जिसके भयावह नतीजे भी सामने आ रहे हैं। हथियों का कहर बरपाना, वन्य जीवों का गांवों और शहरों की ओर पलायन जैसे कारणों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। नतीजतन छत्तीसगढ़ का पूरा पर्यटन चौपट होने की कगार पर है। लेकिन बजाए इस ओर ध्यान देने के, सरकार और पर्यटन मंडल रूपए कमाने के तरीके निकाल रहा है। यह साबित करने की कुचेष्टा की जा रही है कि राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में बनाए गए होटल, और मोटल सरकार के लिए सफेद हाथी साबित हो रहे है। यही वजह है कि होटल-मोटल व रेस्टहाउसों को ठेके पर देने की तैयारी की जा रही है। करोड़ों रुपए खर्च कर बनाए गए सरकारी होटल, मोटल और रेस्ट हाउस अब निजी हाथों में जा रहे है। इसके लिए बाकायदा योजना बना ली गई है। जिसकी पहली प्रक्रिया 12 मार्च को शुरू होगी और 27 मार्च तक पर्यटन मंडल की 33 होटल, मोटल व रेस्ट हाउस को ठेके पर सौंप दिया जाएगा।
छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल ने मैनेजमेंट कांट्रेक्ट बेस में पहले चरण पर प्री-बिड कांफ्रेंस 15 मार्च को दोपहर तीन बजे मुख्यालय में आयोजित की गई है। इच्छुक लोगों को फार्म भी जारी कर दिया गया है। फार्म 12 मार्च को शाम पांच बजे तक जमा करने की ताकीद भी की गई है। दूसरे चरण यानी की फाइनेंशियल बिड 27 मार्च को शाम पांच बजे खोली जाएगी। यह सारी प्रक्रिया दुरस्तगी से की गई है पर फार्म की उपलब्धता सीमित हाथों में ही है।
नवनिर्मित और आशीशान होटल मोटल के कुल 12 समूह तैयार किए गए हैं। जिसमें कुल मिलाकर 33 स्थानों की होटल, रेस्ट हाउस व मोटल हैं। इसमें रायपुर ग्रुप की टूरिस्ट मोटल केंद्री, टूरिस्ट मोटल भाटागांव रेस्ट हाउस भाठागांव, कांकेर ग्रुप की नथिया नवागांव मोटल, टूरिस्ट मोटल कांकेर, टूरिस्ट मोटल कोंडागांव जगदलपुर की टूरिस्ट मोटल आसाना, टूरिस्ट मोटल तीरथगढ़, टूरिस्ट मोटल हाराम दंतेवाड़ा, मोटल खपरी दुर्ग, मोटल तुमड़ीबोड़ राजनांदगांव, तांदुला रेस्ट हाउस दुर्ग, कवर्धा मोटल, भोरमदेव रेस्ट हाउस कबीरधाम, मोटल कांपा महासमुंद, लखोली रेस्ट हाउस रायपुर, बालार अर्जुनी रेस्ट हाउस रायपुर, टूरिस्ट मोटल रायगढ़, कुनकुरी रेस्ट हाउस रायगढ़, खुमार पाकुट रेस्ट हाउस रायगढ़ मोटल सारागांव बिलासपुर, धरमपुरा रेस्ट हाउस बिलासपुर, गोंडख़ाम्ही रेस्ट हाउस बिलासपुर, खूंटाघाट रेस्ट हाउस बिलासपुर, खुडिय़ा रेस्ट हाउस बिलासपुर, टूरिस्ट मोटल जांजगीर-चांपा, मोटल छादिराम अंबिकापुर सरगुजा, मोटल चिरगुड़ा कोरिया, श्याम घुनघुट्टा रेस्ट हाउस अंबिकापुर, टूरिस्ट मोटल कोनकोना कोरबा, माचाडोली रेस्ट हाउस कोरबा टूरिस्ट मोटल राजिम, रेस्ट हाउस कुकदा गरियाबंद को ठेके पर दिया जाना है।

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